001
सृष्टि के प्रारंभ से ही ईश्वरीय शक्ति और शैतानी ताकत के बीच द्वंद्व चलता आ रहा है. इसका अनुभव हम आज भी विभिन्न रूपों में करते हैं . इसमें कोई दो मत नहीं कि हम दोनों ही शक्तियों पर विश्वास करते हैं. पर हमें सोचना है कि हम किस पर ज्यादा भरोसा रखते हैं. हमारा दृढ़ भरोसा अगर ईश्वरीय शक्ति में है तो हम दुनिया की शैतानी ताकतों पर विजय पा सकते हैं.
002
हर बच्चा अपने आप में विलक्षण होता है. हमें उसकी प्रतिभा को पहचानने की जरूरत है. यह भी याद रखने की जरूरत है कि हर बच्चे की बुद्धि, योग्यता और दक्षता अलग-अलग होती है, इसलिए दूसरों से तुलना कर उनपर दबाव बनाने से परिणाम उल्टा हो सकता है. बच्चे को परीक्षा की अच्छी तैयारी करने के लिए कहना अच्छी बात है, लेकिन लक्ष्य निर्धारित कर उसकी प्राप्ति का दबाव बनाना उसपर विपरीत प्रभाव ला सकता है.
003
प्रेम हमारे हृदय की उपज है. प्रेम के लिए किसी प्रशिक्षण की आवश्यकता नहीं है. प्रेम की भावनाओं के आदान-प्रदान से शांति और समृद्धि होती है. हमारा शारीरिक, मानसिक एवं आध्यात्मिक विकास प्रेमपूर्ण वातावरण में ही संभव है, जो आगे चलकर हमारे चरित्र के विकास में सहायक है. संक्षेप में, प्रेम ही हमारी प्रगति का आधार है. अत: हम इस प्रेम रूपी सुगंध को लें और इससे दूसरों को भी सुगन्धित करें.
004
हमारा मानव जीवन दो प्रकार की परिस्थितियों से गुजरता है - सम परिस्थितियाँ और विषम परिस्थितियाँ. इन्हें अनुकूल परिस्थितियाँ और प्रतिकूल परिस्थितियाँ भी कहते हैं. हमारे जीवन की सम परिस्थितियाँ सुखदायी और विषम परिस्थितियाँ दुखदायी होती हैं. इन विषम परिस्थितियों को सुखदायी बनाना हमारे लिए एक चुनौती है. इस चुनौती का सामना हम परिश्रम, उत्साह, व्यवहार कुशलता और आत्मविश्वास से कर सकते हैं.
005
हमारे जीवन में डर स्वाभाविक है. ये डर दो प्रकार के होते हैं - श्रद्धापूर्ण डर और घृणापूर्ण डर. ये श्रद्धापूर्ण डर हमारे जीवन के विकास के लिए सहायक होते हैं, और हमें आन्तरिक स्वतंत्रता का एहसास दिलाते हैं. दूसरी ओर जो घृणापूर्ण डर है वह हमारे जीवन के विकास के लिए बाधक होते हैं और बहुधा हमारी आंतरिक स्वतंत्रता को छीन लेते हैं.
006
सबों में अहम भावना होती है, जिसे हम साधारण शब्दों में घमंड कहते हैं. पर याद रहे, घमंड अपने आप में अच्छा है, जैसे - अपनी क्षमता, प्रतिभा, गुण-पुण्य एवं सुन्दरता पर हमें घमंड होता है. पर जब घमंड की मात्रा हम में ज्यादा हो जाती है तो यह घमंड हमारी आँखों के सामने पर्दा डाल देता है, जिसके कारण हमें दूसरों की अच्छाई नहीं पर बुराई नजर आती है.
007
हर एक दिल दूसरा दिल खोजता है. यही हम मानव की नियति है. हर एक आत्मा, परमात्मा की खोज करती है. और हमारी आत्मा जब परमात्मा की खोज करती है तब वही हमारी आध्यात्मिकता है. हमारा जीवन ईश्वर प्रदत्त है, इसलिए ईश्वर को खोजने में और उसकी इच्छा अनुसार जीवन जीने में हमें हिचकिचाहट नहीं होनी चाहिए.
008
प्रेम और घृणा दोनों ही हमारे मन की उपज हैं. प्रेम के भाव से घृणा के भाव को जीता जा सकता है. हमारे मन में दूसरों के प्रति जब घृणा के भाव उत्पन्न होते हैं तो हमारे मन में बुरे विचार भी उत्पन्न होते हैं. इससे हमारे काम प्रभावित होते हैं. हम एकाग्र मन से काम नहीं कर पाते हैं. इस तरह हम शारीरिक एवं मानसिक दोनों रूप से अस्वस्थ हो जाते हैं. शांति हमसे दूर अति दूर चली जाती है और हम सकारात्मक काम नहीं कर पाते हैं.
009
हमारा मानवीय स्वभाव है कि हम एक दूसरे पर दोषारोपण लगाते हैं. कभी प्रत्यक्ष तो कभी अप्रत्यक्ष. पर दोनों ही घातक होते हैं. इससे हमारा बना-बनाया आपसी सम्बन्ध बिगड़ जाता है. पर याद रहे, स्वीकार भावना एवं आपसी समझदारी से हमारा सम्बन्ध मजबूत बनता है.
010
हर चीज-वस्तु का मूल्य होता है. इसलिए खोने पर हम उसे खोजते हैं. हमारे जीवन का भी एक मूल्य है और इस मूल्य को हम प्रत्येक को तय करना है. अपने जीवन के तय मूल्य के मुताबिक जीने से स्वाभिमान पैदा होता है और संकोच खत्म होता है.
011
आज की तारीख में ज्ञान पाने के लिए कीमत चुकाना पड़ता है, और इस प्राप्त ज्ञान को जीने में आनंद की अनुभूति होती है. इसके लिए अपने अस्तित्व के सत्य का ज्ञान होना जरूरी है. इसी को जानने पर जान पाएंगे कि इस धरती पर हमारा ध्येय क्या है? इस सृष्टि को हमारा क्या योगदान है.
012
हमारी अपनी सोच होती है और हम उसी के हिसाब से अपनी जिंदगी का संचालन करते हैं. हमारी जिंदगी में कई मुद्दे और शौक हैं, जिन पर प्राथमिकता लाना आवश्यक है अन्यथा उन पर हमारे समर्पण का प्रभाव नगण्य हो जाएगा. इससे हमें जिन्दगी में असफलता ही मिलेगी.
013
आज दुनिया में सबसे ज्यादा कमी सुनने वालों की है. हम सबको लगता है कि हम अच्छे श्रोता है. सुनना भी एक कला है. हमें स्कूलों में सुनने का औपचारिक प्रशिक्षण नहीं मिलता है. बहुधा हम ऐसा प्रदर्शित करते हैं कि कहने वाले की बात सुन रहे हैं, किन्तु हमारा ध्यान कहीं और होता है. ऐसा धैर्य की कमी की वजह से भी होता है. सुनने की क्षमता के अभाव में अविश्वास, उदासीनता और आशंका पैदा हो सकती है.
014
सबों को गुस्सा आता है. गुस्सा आने पर सामने जो भी होता है, उसे सुनाने लगते हैं, मन में जो आता है बोल देते हैं. बेहतर है कि हम गुस्से को कंट्रोल करना सीखें और गुस्से में हम अपना आत्मसम्मान बीच में न लायें और गुस्से में कभी कोई निर्णय न लें. एक-दो दिन बीत जाने के बाद जब दिमाग शांत होता है, तो हमें एहसास होता है कि कहीं न कहीं गलती हमारी भी है.
015
हम बहुधा नासमझी के शिकार बनते है. हमारी प्रवृति कुछ ऐसी है कि हम वैसे दुखद पलों पर ज्यादा ही चिंता करते हैं. फलत: हम अपने मन में बदले की भावना को घर करने देते हैं. ऐसा करके हम स्वयं को हानि पंहुचाते हैं. हमें आतंरिक स्वतंत्रता के साथ जीने के लिए ऐसे पलों को भूलने एवं त्यागने की जरूरत है.
016
अपनी कमजोरी को स्वीकार करना एक नये जीवन की शुरुआत है. हम अपने व्यक्तिगत एवं सामाजिक जीवन में तबाही का अनुभव करते हैं. कुछ लोग इनका ख़ुशी से सामना करते हैं, कुछ लोग इनसे आत्मनाश कर लेते हैं और कुछ लोग असहाय रह जाते हैं. वास्तव में ऐसे अनुभवों को हमें नियंत्रित होकर सकारात्मक रुख द्वारा चुनौती देना है.
017
हमारे जीवन में संतुलन बहुत जरुरी है, लेकिन हम में से अधिकांश लोगों का जीवन असंतुलित बना हुआ है. जो व्यक्ति संतुलन के साथ जीते हैं, वे हमारे आदर्श हैं. पर अधिकांश लोग क्षणिक सुख-सुविधाओं के पीछे पागल बनकर अपनी जिंदगी को खराब करने में लगे हैं. हमें याद रखना चाहिए कि जीवन का लक्ष्य बहुत ऊँचा है.
018
वक्त के साथ हमारी रूचि बदलती है. समय के साथ पसंद-नापसंद में बदलाव आना स्वभाविक है. इसी स्वभाव की नासमझी से हमारे जीवन में ताना-बाना उत्पन्न होता है. इसलिए इस रूचि-परिवर्तन को समय रहते समझ लेने में ही हमारी समझदारी एवं परिपक्वता है और इससे एक-दूसरे को समझना आसान हो जाता है.
019
प्रार्थना मानव जीवन का अनिवार्य अंग होना चाहिए. प्रार्थना से आत्मबल की उपलब्धि सम्भव है. अपने भीतर की दिव्य इच्छाओं को जगाने के लिए प्रार्थना का सहारा लेना होता है. प्रार्थना में अपनी इच्छा-आकांक्षा रखते समय इस बात का ध्यान अवश्य रखना चाहिए कि उसमें कहीं संकीर्ण स्वार्थपरता तो प्रवेश नहीं कर रही है क्योंकि स्वयं के साथ दूसरों के कल्याण की भावना भी सन्निहित हो, तभी प्रार्थना का उत्तर प्राप्त होता है.
020
हर व्यक्ति की तीव्र इच्छा होती है कि वह जीवन में सफलता हासिल करे. इसके लिए वह परिश्रम करता है. पर इस परिश्रम के साथ-साथ व्यक्ति को अपने जीवन के हर क्षेत्र में ईश्वर की साझेदारी का एहसास होना चाहिए. इसके सहारे अपने कर्तब्यों के प्रति जागरूकता बनी रहती है और दूरदर्शिता का विकास चलता रहता है.
021
बुरा वक्त सबके जीवन में आता है. उस वक्त कई बिखर जाते हैं और कई निखर जाते हैं. वही बिखरते हैं जो बुरे वक्त को जीवन में अड़चन समझते हैं और वही निखरते हैं जो बुरे वक्त को जीवन में अवसर समझते हैं.
022
मनोरंजन हमारे लिए नितांत आवश्यक है. आज मनोरंजन के अनेक साधन हैं, जैसे - कम्प्यूटर, टेलीविजन, मोबाईल आदि. जिस दिन से हम इन साधनों के गुलाम बनते हैं, उस दिन से आंशिक पागल की संज्ञा हमारे लिए कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी.
023
समय हमारे लिए बहुमूल्य है. हर पल, हर क्षण कीमती है, क्योंकि समय का हर क्षण एक अनोखा अवसर लेकर आता है. उस क्षण के अनोखे अवसर का सदुपयोग ही हमारे जीवन की सच्ची सार्थकता है, क्योंकि समय का नियम ही है अनवरत-निरंतर चलते रहना. इस सच्चाई को समझा जाय कि समय किसी के लिए रुकता नही है, वैसे ही अवसर भी.
024
कार्य योजना हमारे जीवन में सफलता के लिए आवश्यक है. कार्य-योजना हमें समय और अवसर के उद्देश्य पूर्ण उपयोग का सुअवसर प्रदान करता है. अगर कार्य योजना एकांगी नहीं, पर बहुआयामी हो तो इससे हमारे चिंतन एवं चरित्र में निखार आता है. हमारे चिंतन एवं चरित्र में निखार आये तो हमारे व्यवहार में अवश्य निखार आएगा.
025
हमें जीवन में प्रत्येक क्षण का भरपूर आनंद लेना चाहिए. हमारे सभी सुख-दुःख हमारे अंतर्मन से उपजते हैं. हमें मानना चाहिए कि हमारे जीवन में जो कुछ हो रहा है वह अच्छा ही है, जो अब तक हुआ वह अच्छा ही हुआ और भविष्य में जो होगा वह भी अच्छा होगा. वास्तव में वर्तमान में जीना ही समझदारी है, और यही जीवन-मुक्ति का सरल और सच्चा मार्ग है.
026
जीवन में आत्मविश्वास बेहद अहम है. आत्मविश्वास सबसे पहले हमें विवेक प्रदान करता है. आत्मविश्वास हमें चुनौतियों से जूझने की ताकत देता है और लक्ष्य के पथ पर चलने का मार्ग प्रशस्त करता है. आत्मविश्वास हमारी कभी न खत्म होने वाली पूंजी है और जिसके पास यह पूंजी संचित है, वह पराजित नहीं हो सकता है. यह आत्मविश्वास की शक्ति हमें सत्यपथ पर चलने से ही मिलती है.
027
हमारा जीवन रंगों से भरा होना चाहिए. जीवन में जो भी हम आनंद का अनुभव करते हैं, वह हमें स्वयं से ही प्राप्त होता है. आनंद के होने से हमारा जीवन उत्सव बन जाता है. दूसरी ओर, हमारी भावनाओं को रंगों की फुहार की तरह होनी चाहिए, तभी हमारा जीवन सार्थक होता है. बहुधा अज्ञानता में हमारी भावनाएं कष्टकारी होती हैं. लेकिन ज्ञान के साथ जुड़कर यही भावनाएं जीवन में रंग भर देती हैं.
028
हम जीवन की इस सच्चाई को स्वीकार नहीं कर पाते हैं कि समस्या के बिना जीवन की कल्पना असंभव है. इसलिए बहुधा हम अपनी समस्याओं के लिए दूसरों को जिम्मेदार ठहराते हैं. हममें से कुछ लोग समस्या के आगे टूट जाते हैं, तो कुछ संभल जाते हैं. समस्याओं के आगे वैसे लोग ही टूटते हैं, जिनका ध्यान सिर्फ समस्या की तरफ जाता है और जिन लोगों का ध्यान समस्या के समाधान की तरफ रहता है वे समस्या में अपने आप को और निखारते हैं.
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संस्था में हमें शारीरिक तौर पर ही नहीं, बल्कि मानसिक और बौद्धिक रूप से भी समर्पित होना चाहिए. समाज में प्रत्येक व्यक्ति का विशेष महत्व होता है इसलिए जब हम संगठित होकर कोई कार्य करते हैं तो उसके परिणाम में विविधता देखने को मिलती है. यह भी सच है कि किसी विषय पर सभी व्यक्तियों का मत एक जैसा नहीं होता है पर जब बात संस्था की आती है तब हमें वही करना चाहिए जिससे ज्यादा से ज्यादा लोगों का भला हो.
030
हमारे जीवन में लक्ष्य का होना बहुत जरुरी है. लक्ष्य के बिना हमारा जीवन व्यर्थ होता है. यदि हमारे जीवन में कोई लक्ष्य नहीं है तो हम अपनी जिंदगी तो जीते हैं लेकिन हम यहाँ-वहाँ भटकते रहते हैं. दूसरी ओर, यदि हमारे जीवन में कोई लक्ष्य है तो हम उस दिशा की ओर बढ़ते हैं. हमें लक्ष्य की प्राप्ति तक स्वयं पर विश्वास और आस्था रखनी चाहिए और अपनी सोच को हमेशा सकारात्मक रखनी चाहिए.
031
हम मुसीबत में फंसने पर अक्सर हार मान लेते हैं, परिस्थितियों के आगे घुटने टेक देते हैं. लेकिन बिना धैर्य खोये अगर हम कोशिश करेंगे तो मुसीबत में भी अपने लिए रास्ता निकाल सकते हैं. याद रहे, जीवन के हर क्षेत्र में ऊँचाइयों को प्राप्त करने के लिए हमें अपार प्यार, विश्वास, भक्ति और समर्पण की जरूरत होती है.
032
हम सभी सफल होना चाहते हैं, उसके लिए परिश्रम भी करते हैं, लेकिन सबको सफलता नहीं मिलती है. कारण यही कि हम बहुधा अपनी तुलना दूसरों से करते हैं, हम दूसरों की देखा-देखी करते हैं और इससे हम अपनी खासियत खो देते हैं. इसलिए हम पूरी तरह कामयाब होना चाहते हैं तो उसे लगन के साथ अपने तरीके से करें. दूसरों से प्रेरणा ले सकते हैं, सीख सकते हैं पर अपनी रचनात्मकता खत्म होने न दें.
033
दूसरों का सहारा हमारे लिए एक उत्प्रेरक का काम करता है. सहारा एक ओर हमें आलसी और अहंकारी बना सकता है तो दूसरी ओर हमें कर्मठ और विनम्र भी बना सकता है. हमारे आसपास बहुत बड़ी संख्या उन लोगों की है जिनमें हर तरह की प्रतिभा और सामर्थ्य है, लेकिन किसी के सहारे के अभाव में वे अपने जीवन का लक्ष्य प्राप्त नहीं कर पाते. यदि हम ऐसे किसी व्यक्ति का सहारा बन पायें तो हमें ख़ुशी-ख़ुशी ऐसा करना चाहिए.
034
इन दिनों हमारे जीवन का एक ही उद्देश्य होता है - शारीरिक एवं पारिवारिक सुख हासिल करना. इसे पाने के लिए हम सारा दिन झूठ, ठगी, बेईमानी, रिश्वतखोरी, आदि का भी सहारा लेते हैं. यूँ ही चलती रहती है जिंदगी. जो दुनिया में आये थे, वे चले गए. जो हैं एक दिन उन्हें भी जाना है. लेकिन किसी को इस बात की परवाह ही नहीं है कि जिंदगी को कुछ इस तरह रोशन किया जाए कि आने वाली पीढियां उन्हें याद रख सकें. इसलिए यह बहुत जरुरी है कि हम जो भी करें वह किसी की भलाई के लिए करें, ताकि आने वाली पीढियां सम्मान और आदर के साथ हमें याद करें. यही जीवन का लक्ष्य होना चाहिए.